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असम: सीएम सरमा का दावा - तनावग्रस्त बांग्लादेश से भारत आने की कोशिश नहीं कर रहे हिंदू, खुद ही संकट से लड़ रहे

 


गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। सरमा ने दावा किया है कि तनावग्रस्त बांग्लादेश से हिंदू समुदाय के लोग भारत आने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू लोग अपने संकटों का सामना कर रहे हैं और वहां की स्थिति से खुद ही निपटने की कोशिश कर रहे हैं। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की स्थिति पर भारत सरकार की कड़ी नजर है, लेकिन फिलहाल वहां से कोई भी बड़ा पलायन भारत की ओर नहीं हो रहा है। सरमा ने कहा, "बांग्लादेश में हिंदू अपने संघर्षों को खुद हल करने का प्रयास कर रहे हैं। वे अपने ही देश में रहकर अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।"


भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम

सीएम सरमा ने यह भी कहा कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा को लेकर कड़े इंतजाम किए गए हैं। भारत सरकार इस बात का पूरा ध्यान रख रही है कि कोई भी अवैध प्रवासी भारत में प्रवेश न कर सके। सरमा ने जोर देकर कहा कि असम पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां सीमा पर सतर्कता बरत रही हैं।


बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की स्थिति

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय लंबे समय से अल्पसंख्यक के रूप में रह रहा है। पिछले कुछ वर्षों में, वहां के हिंदू समुदाय को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिसमें धार्मिक भेदभाव, हिंसा और जमीन पर कब्जा जैसी समस्याएं शामिल हैं। इसके बावजूद, बांग्लादेश के हिंदू समुदाय ने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखा है और वे अपनी समस्याओं का समाधान खुद ही करने की कोशिश कर रहे हैं।


सीएम सरमा के बयान के मायने

मुख्यमंत्री सरमा का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत में कई राजनीतिक दल बांग्लादेशी हिंदू शरणार्थियों के मुद्दे को उठा रहे हैं। सरमा के इस बयान से यह संकेत मिलता है कि भारत सरकार और असम सरकार इस मुद्दे पर सतर्क हैं और वे बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू समुदाय की स्थिति पर लगातार नजर रख रही हैं।


निष्कर्ष

सीएम हिमंत बिस्वा सरमा का यह बयान भारतीय उपमहाद्वीप में बांग्लादेशी हिंदुओं की स्थिति पर एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण पेश करता है। भारत सरकार की सतर्कता और बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की संघर्षशीलता इस बात की पुष्टि करती है कि दोनों देश अपने-अपने तरीकों से इस संकट का सामना करने के लिए तैयार हैं। 


बांग्लादेशी हिंदू समुदाय के लिए यह समय कठिनाइयों से भरा हो सकता है, लेकिन वे अपनी जड़ों को छोड़ने के बजाय अपने देश में ही रहकर संघर्ष करने का साहस दिखा रहे हैं। मुख्यमंत्री सरमा के इस बयान से भारत-बांग्लादेश के बीच के संबंधों में और अधिक स्पष्टता आने की उम्मीद की जा सकती है। 

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